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सूफ़ी लेख
संत साहित्य - श्री परशुराम चतुर्वेदी
घसि चोआ चंदन बहु सुगंध।।पूजन चाली ब्रह्म ठाँय।
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
When Acharya Ramchandra Shukla met Surdas ji (भक्त सूरदास जी से आचार्य शुक्ल की भेंट) - डॉ. विश्वनाथ मिश्र
सीतल मंद सुगंध पवन बहे, रोम रोम सुखदाई।।जमुना-पुलिन पुनीत, परम रुचि, रचि मंडली बनाई।
सम्मेलन पत्रिका
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बिहारी-सतसई-संबंधी साहित्य (बाबू जगन्नाथदास रत्नाकर, बी. ए., काशी)
करि कटाच्छु मो और भोर बिनती सुनि हा हा।।3।। सहज सचिक्कन स्यामरुचि सुचि सुगंध सुकुमार।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
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अबुलफजल का वध- श्री चंद्रबली पांडे
वीरसिंह कौ बाढी सौह, पारस सौं परस्यौ ज्यौं लौह। परम सुगंध नीम है जाय, जैसैं मलयाचल कौ पाइ।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
उ’र्फ़ी हिन्दी ज़बान में - मक़्बूल हुसैन अहमदपुरी
जो मधुमास की टलियाँ का भेदी है मन में उस केफूल सुगंध की इस पतझड़ में भी आशा सब बाक़ी है
ज़माना
सूफ़ी लेख
रामावत संप्रदाय- बाबू श्यामसुंदर दास, काशी
कस जाइये रे घर लागो रंग। मेरा चित न चलै मन भयो पंग।। एक दिवस मन गई उमंग। घसि चंदन चोआ बहु सुगंध।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
हज़रत शाह बर्कतुल्लाह ‘पेमी’ और उनका पेम प्रकाश
सूफ़ियों के यहाँ इस मसल से उस हदीस की तरफ़ इशारा है जिसमें कहा गया है
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
जाहरपीरः गुरु गुग्गा, डा. सत्येन्द्र - Ank-2,1956
चम्पा के निकट पुण्णभई नामक चेइय (चैत्य) था। यह अत्यन्त प्राचीन था, जिसका वर्णन पहले जमाने