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सूफ़ी लेख
हाफ़िज़ की कविता- शाल़ग्राम श्रीवास्तव
सौदा करने सो कर चलो, रहिमन याही हाट।फिर सौदा पैहो नहीं, दूर जान है बाट।
सरस्वती पत्रिका
सूफ़ी लेख
हज़रत शैख़ फ़ख़्रुद्दीन इ’राक़ी रहमतुल्लाह अ’लैह
1आ’शिक़ाँ चूँ बर दर-ए-दिल हल्क़ा-ए-सौदा ज़नन्द
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
संत रोहल की बानी- दशरथ राय
और तभी कहीं- भई कृपा तब सौदा बनिया, भगत भेद नहीं भासे।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
हज़रत शैख़ बू-अ’ली शाह क़लंदर
इ’श्क़ कू ता चश्म-ए-दिल बीना कुनदइ’श्क़ कू ता सीना पुर-सौदा कुनद
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
हाफ़िज़ की कविता - शालिग्राम श्रीवास्तव
इसको रहीम ने इस प्रकार कहा है—-सौदा करने सो कर चलो, रहिमन याही हाट।
सरस्वती पत्रिका
सूफ़ी लेख
शैख़ फ़रीदुद्दीन अत्तार और शैख़ सनआँ की कहानी
हर चे बूदश सर बसर नाबूद शुद ।ज़े आतिश-ए-सौदा दिलश पुर दूद शुद ।।
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
अमीर ख़ुसरो बुज़ुर्ग और दरवेश की हैसियत से - मौलाना अ’ब्दुल माजिद दरियाबादी
मता-ए’-वस्ल-ए-जानाँ बस गिराँ अस्त।गर ईं सौदा ब-जाँ बूदे चे बूदे।।
फ़रोग़-ए-उर्दू
सूफ़ी लेख
शाह नियाज़ बरैलवी ब-हैसिय्यत-ए-एक शाइ’र - मैकश अकबराबादी
दारद दिल-ए-दीवानःअम सौदा-ए-लैला-ए-दिगरमजनून-ए-तब्अ’-ए-वहशियम ब-गिर्यद सहरा-ए-दिगर
मयकश अकबराबादी
सूफ़ी लेख
हज़रत शाह नियाज़ बरेलवी की शाइरी में इरफान-ए-हक़
हर कि सौदा-ए-मोहब्बत ब-सर-ए-ज़ुल्फ़-ए-तू कर्दनक़्द-ए-जम्इयत-ए-दिल दाद-ओ-परेशाँ बर-गश्त
अहमद फ़ाख़िर
सूफ़ी लेख
हिन्दुस्तानी तहज़ीब की तश्कील में अमीर ख़ुसरो का हिस्सा - मुनाज़िर आ’शिक़ हरगानवी
जूता क्यों न पहना, समोसा क्यों न खाया-तला ना थासौदा-गर रा चे मी-बायद, बूचे को क्या चाहिए- दूकान
फ़रोग़-ए-उर्दू
सूफ़ी लेख
पदमावत में अर्थ की दृष्टि से विचारणीय कुछ स्थल - डॉ. माता प्रसाद गुप्त
ओनाई का अर्थ डॉ. अग्रवाल ने सौदा झुकता (या पटता) था, किया है। किन्तु यह ओनाना
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
ख़्वाजा मीर दर्द और उनका जीवन
कलाम-ए-दर्द, अदबी हैसियत से ख़्यालात की बुलंदगी, जज़्बात की पाकीज़गी, तख़य्युल की नफ़ासत और ज़बान की
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
ताजुल-आ’रिफ़ीन मख़दूम शाह मुजीबुल्लाह क़ादरी – हकीम शुऐ’ब फुलवारवी
और आतिश-ए-इ’श्क़-ए-नबवी सल्लल्लाहु अ’लैहि वसल्लम जो एक छुपी आग की तरह दिल ही दिल में मुश्तइ’ल