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सूफ़ी लेख
सूफ़ी क़व्वाली में महिलाओं का योगदान
असर ता ’लीम का हैवान के दिल में भी होता हैये शामत है बशर की जो न सीखे कुछ सिखाने पर
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
बक़ा-ए-इन्सानियत में सूफ़ियों का हिस्सा (हज़रत शाह तुराब अ’ली क़लंदर काकोरवी के हवाला से) - डॉक्टर मसऊ’द अनवर अ’लवी
वो तो हैवान ब-शक्ल-ए-आदम है॥हआ-ओ-हवस और हिर्स-ओ-तमा’ से परहेज़ की तलक़ीन इस तरह है।
मुनादी
सूफ़ी लेख
मयकश अकबराबादी जीवन और शाइरी
वो मशाइख़-ए-आगरा में से हैं। न किसी को मुरीद बनाते हैं न किसी की नज़्र क़ुबूल
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
हिन्दुस्तानी मौसीक़ी और अमीर ख़ुसरौ
मौसीक़ी फ़ितरत की ईजाद है लिहाज़ा फ़ितरत से ही अख़ज़ करके उसको तरतीब दिया गया है
उमैर हुसामी
सूफ़ी लेख
हिन्दुस्तानी तहज़ीब की तश्कील में अमीर ख़ुसरो का हिस्सा - मुनाज़िर आ’शिक़ हरगानवी
तोते के बारे में कहते हैं कि इस मुल्क के तोते आदमी की तरह बोलते हैं।