आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "mahshar qawwali unknown author ebooks"
सूफ़ी लेख के संबंधित परिणाम "mahshar qawwali unknown author ebooks"
सूफ़ी लेख
ख़वातीन की क़व्वाली से दिलचस्पी और क़व्वाली में आशिक़ाना मज़ामीन की इबतिदा
हज़रत ग़ौस-ए-पाक की नियाज़ के साथ क़व्वाली की घरेलू महफ़िलों ने मुस्लिम ख़्वातीन में बे-हद मक़्बूलियत
अकमल हैदराबादी
सूफ़ी लेख
क़व्वाली और मूसीक़ी
क़व्वाली की बुनियाद मूसीक़ी पर नहीं बल्कि शाइ’री पर है या'नी अल्फ़ाज़-ओ-मआ’नी पर लेकिन क़व्वाली चूँकि
अकमल हैदराबादी
सूफ़ी लेख
क़व्वाली की ज़बान
क़व्वाली का तीसरा अहम जुज़्व मुरक्कब है ज़बान। अपनी ज़रूरियात के पेश-ए-नज़र हम मौसीक़ी में जो
अकमल हैदराबादी
सूफ़ी लेख
क़व्वाली के मज़ामीन
क़व्वाली के अहम-तरीन अज्ज़ा-ए-मुरक्कब तीन हैं। मज़ामीन, मौसीक़ी और ज़बान। इस मुरक्कब में क़ौमी यक-जहती की
अकमल हैदराबादी
सूफ़ी लेख
क़व्वाली के आर्गेनाईज़र्स
फुनून-ए-लतीफ़ा के हर ''शो' के लिए किसी न किसी तिजारती या समाजी तंज़ीम की सख़्त ज़रूरत
अकमल हैदराबादी
सूफ़ी लेख
क़व्वाली में ख़वातीन से मुक़ाबले
बीसवीं सदी छठी दहाई में जब पहली ख़ातून क़व्वाल शकीला बानो भोपाली ने क़व्वाली के मैदान
अकमल हैदराबादी
सूफ़ी लेख
क़व्वाली में तशरीह का इज़ाफ़ा
क़व्वाली के बेशतर सामिईन उर्दू के मुश्किल अल्फ़ाज़ को समझने में दुशवारी महसूस करते हैं, जिससे
अकमल हैदराबादी
सूफ़ी लेख
टेलीविज़न पर क़व्वाली की इब्तिदा
हिन्दोस्तान में टीवी बीसवीं सदी के छठी दहाई में आया। यहाँ सबसे पहले इसकी इब्तिदा दिल्ली
अकमल हैदराबादी
सूफ़ी लेख
समाअ और क़व्वाली की वजह तसमीया
क़ौल और कलबाना अमीर ख़ुसरौ के ईजाद-कर्दा दो ऐसे राग हैं जो अक़्साम-ए-क़व्वाली में शुमार किए
अकमल हैदराबादी
सूफ़ी लेख
क़व्वाली के अहम मराकिज़
दुनिया-भर में क़व्वाली के अहम मराकिज़ : क़व्वाली की तर्ज़ आज दुनिया-भर में मक़बूल हैं लेकिन
अकमल हैदराबादी
सूफ़ी लेख
क़व्वाली के ‘अवामी जल्से
‘इश्क़िया मज़ामीन की शुमूलियत के बा’द ज़ाहिर है कि क़व्वाली ‘आम तफ़्रीहात में शामिल हो गई।
अकमल हैदराबादी
सूफ़ी लेख
जदीद क़व्वाली और मूसीक़ी
पहले तो क़व्वाली की धुनें बहुत मख़्सूस और महदूद थीं, इन्हीं धुनों में कलाम के रद्द-ओ-बदल
अकमल हैदराबादी
सूफ़ी लेख
क़व्वाली
क़व्वाली एक फ़न है या’नी एक सिंफ़-ए- मौसीक़ी जिसमें चंद ख़ुश-गुलू मुश्तरका तौर पर बा-ज़ाबता राग