क़व्वाली के आर्गेनाईज़र्स
रोचक तथ्य
کتاب ’’قوالی امیر خسرو سے شکیلا بانو تک‘‘ سے ماخوذ۔
फुनून-ए-लतीफ़ा के हर ''शो' के लिए किसी न किसी तिजारती या समाजी तंज़ीम की सख़्त ज़रूरत होती है लेकिन मौजूदा अ’ह्द में' आर्गनायज़र्स' की एक ऐसी जमाअत वुजूद में आई है जो ब-ग़ैर किसी इदारे या तंज़ीम के फ़र्दन फ़र्दन कमर्शियल शोज़ का एहतिमाम करती है और साल-हा-साल से इसी सिलसिले को ज़रीया-ए-मआ’श बनाए हुए है। ब-ज़ाहिर उन अफ़राद की हैसियत समाज में आज ना-मो’तबर है क्योंकि ये लोग शख़्सी मफ़ाद पर समाजी मक़्सदियत का ग़िलाफ़ चढ़ाने की नाकाम कोशिशों में लगे रहते हैं। इसमें शक नहीं कि बा’ज़ इदारे वाक़ई समाजी मक़्सदियत की बुनियाद पर काम कर रहे हैं लेकिन उनकी तादाद ना-क़ाबिल-ए-लिहाज़ है। शख़्सी मफ़ाद के लिए काम करने वाले आर्गेनाईज़रों में अब चंद एक इस हक़-गोई की जुरअत करने लगे हैं कि फुनून-ए-लतीफ़ा की तहज़ीबी महफ़िलें मुनअ’क़िद करना उनका बिज़नेस है। इस ए’तराफ़ में आर्गेनाईज़रों को हिजाब करने के बजाय फ़ख़्र करना चाहिए कि उनका बिज़नेस न सिर्फ़ बिज़नेस है बल्कि उनके तआवुन से हमारे मुल्क के फुनून-ए-लतीफ़ा की सर-परस्ती भी हो रही है ।
हिन्दोस्तान के तमाम आर्गेनाईज़र्स की फ़िहरिस्त तैयार की जाये तो ता’दाद हज़ारों तक पहुँच सकती है लेकिन अपनी महदूद मालूमात और अपने मौज़ू की मुनासबत से ज़ैल में चंद ऐसे आर्गेनाईज़र्स के नाम पेश करने की कोशिश कर रहा हूँ जो बंबई में मुसलसल क़व्वाली के कमर्शियल शोज़ मुनअक़िद करते रहे हैं। मैं समझता हूँ जदीद क़व्वाली पर इन सबका बहुत बड़ा एहसान है ।
एम एच मौज़े वाला, या’क़ूब क़व्वाल, मुदुन खन्ना, राणे, ज़ेड ए बिस्मिल, ओम कार नाथ खन्ना, एम सलीम नायर, राजेंद्र सिंह राजन, प्रेम अवस्ती, अकबर हुसैन, मुहम्मद हुसैन, श्रीवास्तव, डाक्टर शर्मा, पुरुषोत्तम खन्ना, मदनलाल शर्मा, ब्रिज अग्रवाल, मौजी लाल, दर्शन अग्रवाल, गुलाब बाई खोखानी, कमल चोपड़ा, राजन बटवाला, मुईन अफ़्सर, शरीअत भोसले, अब्दुर्रशीद, बजाज, बाबू ख़ान, शांति मोदी, के मोहन कुमार और राज कुमार अग्रवाल ।
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