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सूफ़ी लेख
तज़्किरा यूसुफ़ आज़ाद क़व्वाल
इस्माई’ल आज़ाद के हम-अ’स्रों में सबसे ज़्यादा शोहरत यूसुफ़ आज़ाद को नसीब हुई। यूसुफ़ एक इंतिहाई
अकमल हैदराबादी
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तज़्किरा इस्माई’ल आज़ाद क़व्वाल
ग्यारहवीं सदी ईसवी से मौजूदा बीसवीं सदी तक क़व्वाली ने कई मंज़िलें तय कीं लेकिन ये
अकमल हैदराबादी
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तज़्किरा जानी बाबू क़व्वाल
जानी बाबू एक सुरीली, मीठी और पुर-कशिश आवाज़ के मालिक हैं। उनकी तबीअ’त में मूसीक़ी ऐसे
अकमल हैदराबादी
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तज़्किरा हज़रत मीर सय्यद अली मंझन शत्तारी राजगीरी
हज़रत इमाम हसन के वंश में से एक सूफ़ी हज़रत मीर सय्यद मोहम्मद हसनी बग़दाद से
डॉ. शमीम मुनएमी
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फ़िल्मों में क़व्वाली के फ़नकार
फ़िल्मों में जब क़व्वाली के आइटम पसंद किए जाने लगे तो उनमें दुनिया-ए-क़व्वाली से मशहूर फ़नकारों
अकमल हैदराबादी
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तज़्किरा शंकर-ओ-शंभू क़व्वाल
क़व्वाली का फ़न किसी मज़हब की मीरास नहीं। हर मज़हब के लोग न सिर्फ़ इस फ़न
अकमल हैदराबादी
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क़व्वाली में तशरीह का इज़ाफ़ा
क़व्वाली के बेशतर सामिईन उर्दू के मुश्किल अल्फ़ाज़ को समझने में दुशवारी महसूस करते हैं, जिससे
अकमल हैदराबादी
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क़व्वाली में ख़वातीन की इब्तिदा
क़व्वाली में ख़वातीन की इब्तिदा बीसवीं सदी की छठी दहाई में हुई, जब कि 1956 में
अकमल हैदराबादी
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क़व्वाली में आदाब-ए-समाअ से इन्हिराफ़ का सबब
अमीर ख़ुसरौ ने अपनी ईजाद कर्दा क़व्वाली हैं जो आदाब-ए-समा’अ को ख़ास अहमियत न दी तो
अकमल हैदराबादी
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बिहार में क़व्वालों का इतिहास
क़व्वाली शब्द अरबी भाषा के शब्द ‘क़ौल’ से लिया गया है। क़ौल पढ़ने वाले व्यक्ति को
रय्यान अबुलउलाई
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क़व्वाली में अदा-आमोज़ी की इब्तिदा
क़व्वाली में तशरीह के इज़ाफे़ के बा’द शकीला बानो ने इस फ़न को मज़ीद दिल-कश बनाने
अकमल हैदराबादी
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ख़वातीन की क़व्वाली से दिलचस्पी और क़व्वाली में आशिक़ाना मज़ामीन की इबतिदा
हज़रत ग़ौस-ए-पाक की नियाज़ के साथ क़व्वाली की घरेलू महफ़िलों ने मुस्लिम ख़्वातीन में बे-हद मक़्बूलियत
अकमल हैदराबादी
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क़व्वाली में सितार का इस्तिमाल
मशहूर हिन्दुस्तानी साज़ सितार अमीर ख़ुसरो की ईजाद है, ज़ाहिर है ये साज़ अमीर ख़ुसरो से