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शे'र
जब तक एक हसीं मकीं था दिल में हर-सू फूल खिले थेवो उजड़ा तो गुलशन उजड़ा और हुआ आबाद नहीं है
बेख़ुद सुहरावरदी
शे'र
अब्दुल हादी काविश
शे'र
माहिरुल क़ादरी
शे'र
बुत भी इस में रहते थे दिल यार का भी काशाना थाएक तरफ़ का'बे के जल्वे एक तरफ़ बुत-ख़ाना था
बेदम शाह वारसी
शे'र
सँभल जाओ चमन वालो ख़तर है हम न कहते थेजमाल-ए-गुल के पर्दे में शरर है हम न कहते थे
वासिफ़ अली वासिफ़
शे'र
दिल में जो रहते थे उम्मीद की दुनिया हो करवो चले जाते हैं क्यूँ दाग़-ए-तमन्ना हो कर
हैरत शाह वारसी
शे'र
न क़ुर्ब-ए-गुल की ताब थी न हिज्र-ए-गुल में चैन थाचमन चमन फिरे हम अपना आशियाँ लिए हुए
बेदम शाह वारसी
शे'र
कहाँ चैन ख़्वाब-ए-अदम में था न था ज़ुल्फ़-ए-यार का ख़यालसो जगा के शोर ने मुझे इस बला में फँसा दिया
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
शे'र
होश न था बे-होशी थी बे-होशी में फिर होश कहाँयाद रही ख़ामोशी थी जो भूल गए अफ़्साना था
बेदम शाह वारसी
शे'र
मेरी आँख बंद थी जब तलक वो नज़र में नूर-ए-जमाल थाखुली आँख तो ना ख़बर रही कि वो ख़्वाब था कि ख़्याल था