परिणाम "आरिज़-ओ-गेसू-ए-यार"
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असीर-ए-हल्क़ा-ए-गेसू-ए-यार हम भी हैंकिसी के तीर-ए-नज़र के शिकार हम भी हैं
आबाद हूँ मैं ताब-ए-रुख़-ए-यार देख करजीता हूँ ज़र्रे ज़र्रे में दीदार देख कर
क्यूँ जल गया न ताब-ए-रुख़-ए-यार देख करजलता हूँ अपनी ताक़त-ए-दीदार देख कर
तमाम उ'म्र कुछ ऐसे ख़याल-ए-यार रहाकि बा'द-ए-मर्ग भी हर ज़र्रा बे-क़रार रहा
मिलती है ख़ू-ए-यार से नार इल्तिहाब मेंकाफ़िर हूँ गर न मिलती हो राहत अज़ाब में
मर रहा हूँ मैं ख़याल-ए-यार मेंहसरतें हैं सौ दिल-ए-बीमार में
ये ख़ुमार-ए-नींद क्या है शब-ए-वस्ल यार जागोमिरी जाँ है तुम पे सदक़े मिरे जाँ-निसार जागो
नोक-ए-मिज़ा-ए-यार है नश्तर के बराबरख़ूँ-रेज़ी में अबरू भी है ख़ंजर के बराबर
ज़िंदगी संग-ए-दर-ए-यार से आगे न बढ़ी'आशिक़ी मतला'-ए-दीदार से आगे न बढ़ी
ग़फ़लत न थी तसव्वुर-ए-दीदार-ए-यार थानज़्ज़ारा-ए-जमाल में गुम इंतिज़ार था
तालिब-ए-वस्ल-ए-यार हूँ शौक़-ए-जिगर को क्या करूँहिज्र से बे-क़रार हूँ सूद-ओ-ज़रर को क्या करूँ
यार की गलियों में क्यूँ कर यार जाना छोड़ देकिस तरह बुलबुल चमन से आशियाना छोड़ दे
ऐ तेग़-ए-यार मिल के गले से जुदा न होअब रूठने का वक़्त नहीं है ख़फ़ा न हो
वस्ल-ओ-फ़िराक़-ए-यार का क़िस्सा 'अजीब हैजितना मैं उस से दूर वो उतना क़रीब है
ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होताअगर और जीते रहते यही इंतिज़ार होता
जब तीर-ए-नज़र दिल पे मिरे यार ने मारारग रग से सदा आई मुझे प्यार ने मारा
हम क़द-ए-यार को सर्व-ए-चमनी कहते हैंज़ुल्फ़-ए-दिल-दार को मुश्क-ए-ख़ुतनी कहते हैं
जिस जा नसीम शाना-कश-ए-ज़ुल्फ़-ए-यार हैनाफ़ा दिमाग़-ए-आहु-ए-दश्त-ए-ततार है
कहीं सुकूँ न मिला दिल को बज़्म-ए-यार के बा'दकि बे-क़रार रही ज़िंदगी क़रार के बा'द
कभी फ़ैज़-ए-करम इतना तो मेरे यार हो जाएजो घबराए मेरा दिल आप का दीदार होजाए
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