परिणाम "जफ़ाएँ"
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ज़माने में हैं यादगार-ए-ज़मानावफ़ाएँ हमारी जफ़ाएँ तुम्हारी
तुम किसी बात पे अफ़्सोस न पूरे उतरेन जफ़ाएँ तुम्हें आई न वफ़ाएँ आई
जफ़ाएँ करो शौक़ से तुम जफ़ा कीशिकायत ही हम तुम से कब कर रहे हैं
मिन्नत से पूछा क्या न करोगे जफ़ाएँ कमसफ़्फ़ाक किस ढिटाई से बोला कि हाँ नहीं
तुम हो कि सदा तोड़ते रहते हो जफ़ाएँहम हैं कि कभी तुम से शिकायत नहीं करते
बर्बाद हुए हम तिरी सह सह के जफ़ाएँभूले से भी तूने न लिया नाम वफ़ा का
हो चुका क़त-ए’-त’अल्लुक़ तो जफ़ाएँ क्यूँ हैंजिस से मतलब नहीं रहता है सताते भी नहीं
गर हैं यही जफ़ाएँ तो ज़ालिम जज़ा के दिनआड़े मिरी वफ़ा से भी आया न जाएगा
कभी नेकी भी उस के जी में गर आ जाए है मुझ सेजफ़ाएँ कर के अपनी याद शरमा जाए है मुझ से
वफ़ाएँ 'ताहिर' की हैं ज़्यादा जफ़ाएँ हैं या तुम्हारी अफ़्ज़ूँबुतों तुम ही पर ये फ़ैसला है तुम ही बता दो हिसाब कर के
जफ़ाएँ बहुत कीं बहुत ज़ुल्म ढाए कभी इक निगाह-ए-करम इस तरफ़ भीहमेशा हुए देख कर मुझ को बरहम किसी दिन ज़रा मुस्कुरा कर तो देखो
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