परिणाम "फ़रोग़"
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रौनक़ नहीं फ़रोग़ नहीं वो हशम नहींजब से ख़ुदा के घर बुतों का क़दम नहीं
मस्ती में फ़रोग़-ए-रुख़-ए-जानाँ नहीं देखासुनते हैं बहार आई गुलिस्ताँ नहीं देखा
फ़रोग़-ए-शोला-ए-ख़स यक-नफ़स हैहवस को पास-ए-नामूस-ए-वफ़ा क्या
'माहिर' वो आए क़िस्मत-ए-मंज़िल चमक उठीज़र्रे फ़रोग़-ए-नूर से मा'मूर हो गए
हुस्न-ए-फ़रोग़-ए-शम्मा-ए-सुख़न दूर है 'असद'पहले दिल-ए-गुदाख़्ता पैदा करे कोई
ये एक बात कि आदम है साहिब-ए-मक़्सूदहज़ार गूना फ़रोग़-ओ-हज़ार गूना फ़राग़
मिरे आगे उस को फ़रोग़ हो ये मजाल क्या है रक़ीब कीये हुजूम-ए-जल्वा-ए-यार है कि चराग़-ए-ख़ाना को जा नहीं
इक नौ-बहार-ए-नाज़ को ताके है फिर निगाहचेहरा फ़रोग़-ए-मय से गुलिस्ताँ किए हुए
उस रुख़-ए-साफ़ को देखूँ तो बढ़ी और फ़रोग़सुर्मा हो गर्द-ए-नज़र आँख की बीनाई का
बस इक फ़रोग़-ए-नक़्श-ए-कफ़-ए-पा के फ़ैज़ सेहर ज़र्रा आफ़्ताब तेरी रह-गुज़र में है
फ़रोग़-ए-हुस्न-ए-जानाँ से बढ़ी ज़ीनत जो महफ़िल कीतजल्ली दस्त-ए-हसरत मिल रही थी माह-ए-कामिल की
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