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कलाम
शब-ए-फ़ुर्क़त की तारीकी में शामिल है ग़ुबार अपनाउसी सहरा में खोया 'इश्क़ ने 'अह्द-ए-बहार अपना
मयकश अकबराबादी
कलाम
अव्वल-ए-शब वो बज़्म की रौनक़ शम्अ' भी थी परवाना भीरात के आख़िर होते होते ख़त्म था ये अफ़्साना भी
आरज़ू लखनवी
कलाम
क़मर जलालवी
कलाम
अज़्म-ए-फ़रियाद! उन्हें ऐ दिल-ए-नाशाद नहींमस्लक-ए-अहल-ए-वफ़ा ज़ब्त है फ़रियाद नहीं
सीमाब अकबराबादी
कलाम
बीत गया हंगाम-ए-क़यामत रोज़-ए-क़यामत आज भी हैतर्क-ए-तअल्लुक़ काम न आया उन से मोहब्बत आज भी है