परिणाम "महक"
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जब तुझे याद कर लिया सुब्ह महक-महक उठीजब तिरा ग़म जगा लिया रात मचल-मचल गई
बू-ए-गुल माँगने आए मिरे होंटों से महकचूमने को तिरे मिल जाएँ जो पा-पोश मुझे
जला है हाए किस जान-ए-चमन की शम-ए-महफ़िल सेमहक फूलों की आती है शरार-ए-आतिश-ए-दिल से
तिरे दीद से ऐ सनम चमन आरज़ुओं का महक उठातिरे हुस्न की जो हवा चली तो जुनूँ का रंग निखर गया
आरज़ू ये है कि हो क़ल्ब मु'अत्तर-ओ-मुतह्हर-ओ-मुनव्वर-ओ-मुजल्ला-ओ-मुसफ़्फ़ाा दर-ए-'आला जो नज़र आएँ कहीं जल्वा-ए-रू-ए-शह-ए-अब्रारजिन के क़दमों की चमक चाँद सितारों में नज़र आए जिधर से वो गुज़र जाए वही राह चमक जाए दमक जाए महक जाए बने रौनक़-ए-गुलज़ार
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