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कलाम
शब-ए-फ़ुर्क़त की तारीकी में शामिल है ग़ुबार अपनाउसी सहरा में खोया 'इश्क़ ने 'अह्द-ए-बहार अपना
मयकश अकबराबादी
कलाम
शब-ए-फ़ुर्क़त का जब कुछ तूल कम होना नहीं मुमकिनतो मेरी ज़िंदगी का मुख़्तसर अफ़्साना हो जाए
बेदम शाह वारसी
कलाम
क्या कहूँ हिज्र में हालत मिरी क्या होती हैजान-लेवा शब-ए-फ़ुर्क़त की बला होती है
शाह मोहसिन दानापुरी
कलाम
मुझे घर काटे खाता है तो बिस्तर फाड़े खाता हैशब-ए-फ़ुर्क़त में क्या शेर-ए-नैस्ताँ शेर-ए-क़ाली है
दाग़ देहलवी
कलाम
तिरे बीमार-ए-ग़म की हाल पर दुश्मन भी रोते हैंशब-ए-फ़ुर्क़त बसर की करवटें ले-ले के बिस्तर पर
शरफ़ुद्दीन कानपुरी
कलाम
अव्वल-ए-शब वो बज़्म की रौनक़ शम्अ' भी थी परवाना भीरात के आख़िर होते होते ख़त्म था ये अफ़्साना भी