परिणाम "शराब-ओ-शबाब"
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मद-मस्ती शबाब फ़िक्र-ए-माल क्याऐसे में सूझता है हराम-ओ-हलाल क्या
फ़स्ल-ए-गुल है शराब पी लीजिएज़िद न कीजे जनाब पी लीजिए
कल के लिए कर आज न ख़िस्सत शराब मेंये सू-ए-ज़न है साक़ी-ए-कौसर के बाब में
वो नश्शा उस नज़र की शराब का हैयाद मुझ को न दिन हिसाब का है
नज़र मिलाते ही जाम-ए-शराब मिलता हैसवाल करने से पहले जवाब मिलता है
बोतल खुली है रक़्स में जाम-ए-शराब हैऐ 'आशिक़ो तुम्हारी दु'आ कामयाब है
ये है शराब-ए-'इश्क़ इसे दिल लगा के पीआँखों में अपने यार का नक़्शा जमा के पी
फ़िराक़-ए-जानाँ में हम ने साक़ी लहू पिया है शराब कर केतप-ए-अलम ने जिगर जो भूना तो हम ने खाया कबाब कर के
शराब-ख़ाना का तुझ से क़ियाम है साक़ीकिसी से क्या है ग़रज़ तुझ से काम है साक़ी
न तख़्त-ओ-ताज में ने लश्कर-ओ-सिपाह में हैजो बात मर्द-ए-क़लंदर की बारगाह में है
क़िबला-ए-आब-ओ-गिल तुम्हीं तो होकाबा-ए-जान-ओ-दिल तुम्हीं तो हो
ख़ाक से लाला-ओ-गुल सुम्बुल-ओ-रैहाँ निकलेतुम भी पर्दे से निकल आओ कि अरमाँ निकले
हो इक नज़र इधर भी ओ आन बान वालेइक तीर फेंकता जा बांगी कमान वाले
मैनूँ तेरे फ़िराक़ ने मार सुटिया, आजा आजा ओ जान-ए-बहार आजाईहनाँ साहवाँ दा नहीं एतबार कोई, तीनों वेख् ते ला इक वार आजा
दिल-ओ-जाँ फ़िदा-ए-तू ऐ कज-कुलाहेनिगाहे सू-ए-सरफ़रोशाँ निगाहे
कीजिए लुत्फ़-ओ-करम ऐ जान-ए-मनता-ब-के-जौर-ओ-सितम ऐ जान-ए-मन
दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँरोएँगे हम हज़ार बार कोई हमें सताए क्यूँ
ये कौन ग़ज़ल-ख़्वाँ है पुर-सोज़ ओ नशात-अंगेज़अंदेशा-ए-दाना को करता है जुनूँ-आमेज़
यह क्या राज़ है साक़ी-ए-मस्त-ओ-बे-ख़ुद यह क्यूँ तू ने नज़र-ए-इनायत हटा लीवही मय-कदा है मगर सूना सूना वही जाम-ओ-मीना मगर ख़ाली ख़ाली
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