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कलाम
नाज़ाँ शोलापुरी
कलाम
ऐ जज़्बा-ए-दिल गर मैं चाहूँ हर चीज़ मुक़ाबिल आ जाएमंज़िल के लिए दो गाम चलूँ और सामने मंज़िल आ जाए
बह्ज़ाद लखनवी
कलाम
अक्खीं सुर्ख़ मुँही ज़र्दी हर वल्लों दिल आहींं हूम्हाँ महाड़ ख़शबोई वाला पहुंता वंज किदाईं हू
सुल्तान बाहू
कलाम
ईमान सलामत हर कोई मंगे इश्क़ सलामत कोई हूमाँगण ईमान शरमावण इश्क़ोंं दिल नूँ ग़ैरत होई हू
सुल्तान बाहू
कलाम
ईमान सलामत हर कोई मंगे इश्क़ सलामत कोई हूजिस मंज़ल नूँ इश्क़ पहुँचावे ईमान ख़बर न कोई हू