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कलाम
किस को सुनाऊँ हाल-ए-ग़म कोई ग़म-आश्ना नहींऐसा मिला है दर्द-ए-दिल जिस की कोई दवा नहीं
फ़ना बुलंदशहरी
कलाम
अज़्म-ए-फ़रियाद! उन्हें ऐ दिल-ए-नाशाद नहींमस्लक-ए-अहल-ए-वफ़ा ज़ब्त है फ़रियाद नहीं
सीमाब अकबराबादी
कलाम
तिरा क्या काम अब दिल में ग़म-ए-जानाना आता हैनिकल ऐ सब्र इस घर से कि साहिब-ख़ाना आता है
अमीर मीनाई
कलाम
फिर बहार आई चमन में ज़ख़्म-ए-दिल आए हुएफिर मिरी दाग़-ए-जुनूँ आतिश की पर काले हुए