परिणाम "baam"
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वो हटा रहे हैं पर्दा सर-ए-बाम चुपके-चुपकेमैं नज़ारा कर रहा हूँ सर-ए-शाम चुपके-चुपके
बाम-ए-मीना से माहताब उतरेदस्त-ए-साक़ी में आफ़्ताब आए
काकुल-ए-मुश्कीं सुंबुल-ए-पेचाँबाम-ए-फ़लक तक जिन की रसाई
बर-सर-ए-बाम आके ख़ुद जल्वा कियासब को हैरत में फँसाया यार ने
मंसूर की मानिंद कभी मैं भी चढ़ूँगाज़ीना ही तिरे बाम का किरदार है या-रब
ज़ेर-ए-बाम इस लिए हर रोज़ खड़ा रहता हूँआरज़ू है कि इशारों से बुलाए कोई
चाँदनी रात का फिर जाए निगाहों में समाँबाम पर अपने जो 'शीरीं' वो निगार आ जाए
बाम पर खोल के ज़ुल्फ़ों को वो ख़ुद कहते हैंरास्ता बंद यही साँप हैं करने वाले
बाम पर नंगे न आओ तुम शब-ए-महताब मेंचाँदनी पड़ जाएगी मेला बदन हो जाएगा
सैर करने बाम पर आया जो वो पर्द:-नशींसारा आलम देख कर महव-ए-तमाशः हो गया
कूचा-ए-यार में अल्लाह रे हुजूम-ए-’उश्शाक़कोई निकला है सर-ए-बाम टहलने के के लिए
जब गुलाबी चाँदनी करती है ता'मीर-ए-सहरसुर्ख़ियाँ बन कर लब-ए-बाम-ए-उफ़ुक़ आता है तू
ढूँढता है तू किधर यार को मेरे ऐ माहमंज़िलश दर दिल-ए-मा हस्त लब-ए-बाम नहीं
चुन के अफ़्शाँ बाम पर बहर-ए-ख़ुदा मत जाइयोऐ सनम जो देख लेगा सर टपकता जाएगा
आतिश-ए-गुल का धुआँ बाम-ए-फ़लक पर पहुँचाजम गया मंज़िल-ए-ख़ुर्शीद की छत में काजल
उस के कूचे से मिरे ना'श लिए जाते हैंकोई क़ातिल से ये कह दो कि सर-ए-बाम आए
रौनक़ें ले कर मेरे घर की रुख़्सत हो गएबे-कसी नक़्श-ओ-निगार-ए-बाम-ओ-दर होने लगी
शौक़ से तुम हो दर-ओ-बाम पे सरगर्म-ए-ख़िरामदोनों आ'लम हों अगर ज़ेर-ओ-ज़बर होने दो
उस बुत-ए-कुर्सी-नशीं का देख जल्वा बाम परहामिल-ए-'अर्श-ए-बरीं ग़श खा के गिर जाने को है
जो नक़ाब-ए-रुख़ उठा दी तो ये क़ैद भी लगा दीउठे हर निगाह लेकिन कोई बाम तक न पहुँचे
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