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कलाम
कोई मुश्किल था महशर में तुम्हें क़ातिल बना देनामगर कुछ सोच कर रहम आ गया जाओ दु'आ देना
क़मर जलालवी
कलाम
क़मर जलालवी
कलाम
मैं मसर्रत में ख़ुशी में हूँ न रंज-ओ-ग़म में हूँरू-ए-जानाँ सामने है मैं अजब आ'लम में हूँ
अब्दुल हादी काविश
कलाम
गुल में तू तुझ में नुमू था मुझे मा'लूम न थाहर तरफ़ बाग़ में तू था मुझे मा'लूम न था
अकबर वारसी मेरठी
कलाम
जिन्हें मैं ढूँढता था आसमानों में ज़मीनों मेंवो निकले मेरे ज़ुल्मत-ख़ाना-ए-दिल के मकीनों में
अल्लामा इक़बाल
कलाम
वली वारसी
कलाम
अज़ल में जो सदा मैं ने सुनी थी कैफ़-ए-मस्ती मेंवही आवाज़ अब तक सुन रहा हूँ साज़-ए-हस्ती में
ख़ादिम हसन अजमेरी
कलाम
ग़म में जीता हूँ तिरे हिज्र में मरता हूँ मैंख़ुद ही बीमार हूँ और ख़ुद ही मसीहा हूँ में