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कलाम
बनाई मुझ बे-नवा की बिगड़ी नसीब मेरा जगा दियातेरे करम के निसार तू ने मुझे भी जीना सिखा दिया
अज्ञात
कलाम
जिसे दीद तेरी नसीब हो वो नसीब क़ाबिल-ए-दीद हैकि शब-ए-बरात है रात उसे दिन उस के वास्ते 'ईद है
अश्क रामपुरी
कलाम
मुझे क्या क़रार नसीब हो मेरी आज तक तलबी नहींमैं हनूज़ तिश्ना-ए-दीद हूँ जो लगी हुई है बुझी नहीं
अज्ञात
कलाम
बनायी मुझ बेनवा की बिगड़ी नसीब मेरा जगा दियातेरे करम के निसार तूने मुझे भी जीना सिखा दिया
फ़ना बुलंदशहरी
कलाम
अमीर बख़्श साबरी
कलाम
सहबा अकबराबादी
कलाम
तू बे-पर्दा हो महफ़िल में अगर ऐ फ़ित्ना-सामानेक़ियामत तक न आएँ होश में फिर तेरे दीवाने
मंज़ूर आरफ़ी
कलाम
शाह अकबर दानापूरी
कलाम
सँभल ऐ दिल किसी का राज़ बे-पर्दा न हो जाएये दीवानों की महफ़िल है कोई रुस्वा न हो जाए
अमीर बख़्श साबरी
कलाम
नीस्ती हस्ती है यारो और हस्ती कुछ नहींबे-ख़ुदी मस्ती है यारो और मस्ती कुछ नहीं