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कलाम
दिल काले तों मुँह काला चंगा जे कोई उस नूँ जाणे हूमुँह काला दिल अच्छा होवे ताँ दिल यार पछाणे हू
सुल्तान बाहू
कलाम
करे क्या फ़ाएदा नाचीज़ को तक़लीद अच्छों कीकि जम जाने से कुछ ओला तो गौहर हो नहीं सकता
ख़्वाजा मीर दर्द
कलाम
सो मैं अब मजनूँ वार बही प्रदेश बिदेस ख़्वार बहीइस पी अपने की यार बही अब मेरा भी ए'तिबार होया
वारिस शाह
कलाम
जी ने जब से जान लिया है दुख भी है उन की देनपाप समझ रक्खा है मैं ने लेना सुख का नाम
तुफ़ैल हुश्यारपुरी
कलाम
शाह महमूदुल हसन
कलाम
मुबारक तुझ को अपनी ख़ुद-रवी लेकिन ये सुनता जाकि दुनिया अपने रस्ते पर लगा लेती है इंसाँ को
सीमाब अकबराबादी
कलाम
आज़ुर्दा था कि ज़ब्त-ए-फ़ुग़ाँ में असर नहींशर्मिंदा हूँ कि ज़ब्त-ए-फ़ुग़ाँ राएगाँ न था
फ़ानी बदायूँनी
कलाम
नुमायाँ कर दिया उस ने बहार-ए-रू-ए-ख़ंदाँ कोकि दी नग़्मे को मस्ती रंग कुछ सेहन-ए-गुलिस्ताँ को
असग़र गोंडवी
कलाम
वुफ़ूर-ए-शौक़-ए-मुज़्तर है कि उन को हाय क्या कहिएनबी कहिए मलक कहिए बशर कहिए ख़ुदा कहिए