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कलाम
न किसी चीज़ में दिल उन का लगा मेरे बा'दयाद आती ही रही मेरी वफ़ा मेरे बा'द
मौलाना अ’ब्दुल क़दीर हसरत
कलाम
सादगी पर उस की मर जाने की हसरत दिल में हैबस नहीं चलता कि फिर ख़ंजर कफ़-ए-क़ातिल में है
मिर्ज़ा ग़ालिब
कलाम
शाह ख़ामोश साबरी
कलाम
दिखला के झलक चमका के पलक दिल-बर-ओ-ज़मन जादू नज़रीमन छीन लियो तन छीन लियो तर्के शिफ़ा की ’इश्वा-गरी
अज्ञात
कलाम
रातीं ख़्वाब न तिन्हाँ हरगिज़ जेड़े वाले हूबाग़ाँ वाले बूटे वाँगूँ तालिब नित्त सँभाले हू
सुल्तान बाहू
कलाम
अपनी निगाह-ए-शौक़ को रोका करेंगे हमवो ख़ुद करें निगाह तो फिर क्या करेंगे हम
मौलाना अ’ब्दुल क़दीर हसरत
कलाम
टुक साथ हो हसरत दिल-ए-मरहूम से निकले'आशिक़ का जनाज़ा है ज़रा धूम से निकले
मिर्ज़ा मोहम्मद अली फ़िदवी
कलाम
ऐ जान-ए-जहाँ कब तक ये गोशा-ए-तन्हाईसब दीद के तालिब हैं जितने हैं तमाशाई