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कलाम
कहाँ मेरे दिल की हसरत, कहाँ मेरी ना-रसाईकहाँ तेरे गेसुओं का, तिरे दोश पर बिखरना
पीर नसीरुद्दीन नसीर
कलाम
'इश्क़ गर हुस्न के जल्वों का है मरहून-ए-करमहुस्न भी 'इश्क़ के एहसाँ से सुबुक-दोश नहीं
जिगर मुरादाबादी
कलाम
रहा बार-ए-अमानत गो वबाल-ए-दोश रस्ते भरन कंधा भी मगर हम ने तह-ए-बार-ए-गराँ बदला
ख़्वाजा अज़ीज़ुल हसन मज्ज़ूब
कलाम
वहशत-ए-दिल है जोश पर बार-ए-गराँ है दोश परकर न हिरास ऐ बशर ख़ालिद-ए-यक्का ताज़ बन
शाह मोहसिन दानापुरी
कलाम
पीतम का कुछ दोष नहीं है वो तो हैं निरदोसअपने आप से बातें कर के हो गई मैं बदनाम
तुफ़ैल हुश्यारपुरी
कलाम
रू-ए-ज़ेबा गर न देखे चश्म वो है चश्म-कोरतिरे क़दमों पर न हो जब सर वबाल-ए-दोश है
अब्दुल हादी काविश
कलाम
जीते-जी मुझ को समझते थे जो इक बार-ए-गराँक़ब्र तक ले के गए वो भी सर-ए-दोश मुझे