जहाँ बदला तो बदला तू भी ऐ जान-ए-जहाँ बदला
जहाँ बदला तो बदला तू भी ऐ जान-ए-जहाँ बदला
ख़्वाजा अज़ीज़ुल हसन मज्ज़ूब
MORE BYख़्वाजा अज़ीज़ुल हसन मज्ज़ूब
जहाँ बदला तो बदला तू भी ऐ जान-ए-जहाँ बदला
ज़मीं बदली तो बदली थी ग़ज़ब है आसमाँ बदला
मिरी दुनिया-ए-दूँ को तू ने ऐ पीर-ए-मुग़ाँ बदला
क़ियास अब हो गया ’इरफ़ाँ तुम्हीं से अब गुमाँ बदला
तरीक़-ए-'इश्क़ में गो कारवाँ पर कारवाँ बदला
न लेकिन रह-गुज़र बदली न मीर-ए-कारवाँ बदला
रहा बार-ए-अमानत गो वबाल-ए-दोश रस्ते भर
न कंधा भी मगर हम ने तह-ए-बार-ए-गराँ बदला
करूँ क्या दिल है बा-सद ज़ोहद-ओ-तक़्वा माइल-ए-रिन्दी
जिबिल्लत क्या बदल सकती 'अमल को अपने हाँ बदला
न रह छोड़ी न हम ने नक़्श-पा-ए-रह-रवाँ छोड़े
हवा के रुख़ पे रुख़ तू ने तो गर्द-ए-कारवाँ बदला
बहुत गो 'इश्क़ में 'मज्ज़ूब' बदला तुम ने हाल अपने
मगर जैसा बदलना चाहिए वैसा कहाँ बदला
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