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कलाम
घनी शाख़ों में छुप कर जब कोई चिड़िया चहकती हैतो मेरे दिल में क्यूँ हसरत की चिंगारी भड़कती है
अहमद नदीम क़ासमी
कलाम
शान-ए-ख़ुदा भी आप महबूब-ए-ख़ुदा भी आप हैंतज्सीम-ए-हक़ भी आप हैं और हक़-नुमा भी आप हैं
अहमद नदीम क़ासमी
कलाम
नीस्ती हस्ती है यारो और हस्ती कुछ नहींबे-ख़ुदी मस्ती है यारो और मस्ती कुछ नहीं
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
कलाम
अफ़्साना मेरे दर्द का उस यार से कह दोफ़ुर्क़त की मुसीबत को दिल-आज़ार से कह दो
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
कलाम
तुम्हारे 'इश्क़ में गर जान के देने से मैं अड़ताकोई दिन जी के आख़िर मौत से मरना ही फिर पड़ता