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कलाम
जो शबाब आया तो क्या कहूँ वो रात के जैसे बदल गएमग़रूर हुए हैं वो इस तरह जज़्बात के जैसे बदल गए
हुनर सिल्लोड़ी
कलाम
आ'लम में जल्वा करते हैं किस किस हुनर से आपनूर-ए-नज़र में रहते हैं मख़्फ़ी नज़र से आप
इम्दाद अ'ली उ'ल्वी
कलाम
हुनर सिल्लोड़ी
कलाम
आशिक़ पढ़न नमाज़ पिरम दी जैं विच हरफ़ न कोई हूजेहा केहा नीत न सक्के उथ दर्दमंद दिल ढोई हू
सुल्तान बाहू
कलाम
बीत गया हंगाम-ए-क़यामत रोज़-ए-क़यामत आज भी हैतर्क-ए-तअल्लुक़ काम न आया उन से मोहब्बत आज भी है
शकील बदायूँनी
कलाम
अल्लामा इक़बाल
कलाम
अज़्म-ए-फ़रियाद! उन्हें ऐ दिल-ए-नाशाद नहींमस्लक-ए-अहल-ए-वफ़ा ज़ब्त है फ़रियाद नहीं
सीमाब अकबराबादी
कलाम
ऐ दिल-ए-पुर-सुरूर-ए-मन नाज़ न बन नियाज़ बनसाक़ी-ए-मस्त-ए-नाज़ की आँखों में सरफ़राज़ बन