ख़बर क्या थी आँखों को दे कर वो आँसू मिरे दिल की हर इक ख़ुशी छीन लेंगे
ख़बर क्या थी आँखों को दे कर वो आँसू मिरे दिल की हर इक ख़ुशी छीन लेंगे
हुनर सिल्लोडी
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रोचक तथ्य
موسیٰ آزاد قوال کی آواز میں فلم طوائف بطرز ’’بڑی دیر۔۔۔‘‘ لکھی ہوئی مقبولِ عام قوالی۔
ख़बर क्या थी आँखों को दे कर वो आँसू मिरे दिल की हर इक ख़ुशी छीन लेंगे
मोहब्बत जता कर जुदा होंगे ऐसे कि मुझ से मिरी मौत भी छीन लेंगे
लिखा मैं ने ख़त आज बिला-’उज़्र आना तो क़ासिद से फ़रमाए जाकर ये कह दे
जुदा हो के छीनी है मौत हम ने लेकिन वहाँ आए तो ज़िंदगी छीन लेंगे
लगा कर वो मख़मूर आँखों में काजल ये फ़रमाए रिंदों को दिखला के छागल
तुम्हें हम पिलाएँगे पर शर्त है ये कि तुम से तुम्हारी ख़ुदी छीन लेंगे
जला कर पतंगों को इतरा न इतना ऐ मग़रूर शम्अ' ज़रा होश में आ
कि बाद-ए-मुख़ालिफ़ के आज़ाद झोंके तिरी चुलबुली रौशनी छीन लेंगे
'हुनर' उन को लड़ने को आने तो दीजे यही सोच कर आज बैठे हैं हम भी
करेंगे वो क्या वार हाथों से उन के जो हम बढ़ के शमशीर ही छीन लेंगे
- पुस्तक : Moosa Azad Qawwal, Part 1 (पृष्ठ 7)
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