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कलाम
सँभल ऐ दिल किसी का राज़ बे-पर्दा न हो जाएये दीवानों की महफ़िल है कोई रुस्वा न हो जाए
अमीर बख़्श साबरी
कलाम
शौक़ से ना-कामी की बदौलत कूचा-ए-दिल भी छूट गयासारी उमीदें टूट गईं दिल बैठ गया जी छूट गया
फ़ानी बदायूँनी
कलाम
वही आबले हैं वही जलन कोई सोज़-ए-दिल में कमी नहींजो लगा के आग गए हो तुम वो लगी हुई है बुझी नहीं
फ़ना निज़ामी कानपुरी
कलाम
'अक़्ल का हुक्म है उधर तू न जाना ऐ दिल'इश्क़ कहता है कि फिर वाँ से न आना ऐ दिल