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कलाम
शक्ल-ए-अहमद है हक़ीक़त में अहद की सूरतपर्दा-ए-मीम पड़ा था मुझे मा'लूम न था
शाह फ़िदा हुसैन फ़य्याज़ी
कलाम
शक्ल आँखों में मिरी जल्वा-नुमा किस की हैपर्दा-ए-दिल से जो निकली ये सदा किस की है
मिर्ज़ा अश्क लखनवी
कलाम
कलमे लक्ख करोड़ां तारे वली कीते सै राहीं हूकलमे नाल बुझाए दोज़ख़ जिथ अग्ग बले अज़गाही हू
सुल्तान बाहू
कलाम
नीस्ती हस्ती है यारो और हस्ती कुछ नहींबे-ख़ुदी मस्ती है यारो और मस्ती कुछ नहीं
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
कलाम
अफ़्साना मेरे दर्द का उस यार से कह दोफ़ुर्क़त की मुसीबत को दिल-आज़ार से कह दो
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
कलाम
तुम्हारे 'इश्क़ में गर जान के देने से मैं अड़ताकोई दिन जी के आख़िर मौत से मरना ही फिर पड़ता