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कलाम
अलिफ़ अहद दित्ती विखाली अज़ ख़ुद होया फ़ानी हूक़ुर्ब विसाल मक़ाम न मंज़ल उत्थ जिस्म न जानी हू
सुल्तान बाहू
कलाम
पय-ए-तकमील ऐ 'सीमाब' आए अहल-ए-दिल कोईमैं दुनिया को हदीस-ए-ना-तमाम-ए-दिल समझता हूँ
सीमाब अकबराबादी
कलाम
सुकूँ है कुछ इसी से इज़्तिराब-ए-ज़िंदगानी मेंवगरना ज़ात-ए-बाक़ी पैकर-ए-इंसान-ए-फ़ानी में
सीमाब अकबराबादी
कलाम
फ़ना होना मोहब्बत में हयात-ए-जावेदानी हैकिसी क़ातिल पे दम निकले तो लुत्फ़-ए-ज़िंदगानी है
फ़ना लखनवी
कलाम
शौक़ से ना-कामी की बदौलत कूचा-ए-दिल भी छूट गयासारी उमीदें टूट गईं दिल बैठ गया जी छूट गया
फ़ानी बदायूनी
कलाम
फ़ना बन कर मलाल ख़ातिर महज़ून-ए-'अयाँ क्यूँ होकोई ये भी दिगर पूछे कि सरगर्म-ए-फ़ुग़ाँ क्यूँ हो
अज्ञात
कलाम
मोहम्मद मुस्तफ़ा को हज़रत-ए-यूसुफ़ से क्या निस्बतवो मतलूब-ए-ज़ुलेख़ा थे ये महबूब-ए-ख़ुदा ठहरे
अमीर मीनाई
कलाम
क़ाज़ी उम्राओ अली जमाली
कलाम
इलाही रौज़ा-ए-ख़ैरुल-वरा पर जल्द जा पहुँचूँब-रंग-ए-गर्दिश-ए-गर्दूं ये गर्दिश मुझ को सरसर दे
अलाउद्दीन जलाली
कलाम
या दिन की बातें होती हैं या रात की बातें होती हैंये दुनिया है इस दुनिया में हर बात की बातें होती हैं