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कलाम
सँभल ऐ दिल किसी का राज़ बे-पर्दा न हो जाएये दीवानों की महफ़िल है कोई रुस्वा न हो जाए
अमीर बख़्श साबरी
कलाम
अल्लामा इक़बाल
कलाम
अल्लाह पढ़यों हाफ़िज़ होयों न गया हिजाबों पर्दा हूपढ़ पढ़ आलिम फ़ाज़िल होयों तालिब होयों ज़र दा हू
सुल्तान बाहू
कलाम
अल्लाह पढ़यों हाफ़िज़ होयों न गया हिजाबों पर्द: हूपढ़ पढ़ आलिम फ़ाज़िल होयों तालिब होयों ज़र्दा हू
सुल्तान बाहू
कलाम
अनवर मिर्ज़ापुरी
कलाम
अमीर बख़्श साबरी
कलाम
तू बे-पर्दा हो महफ़िल में अगर ऐ फ़ित्ना-सामानेक़ियामत तक न आएँ होश में फिर तेरे दीवाने