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कलाम
फ़ना बुलंदशहरी
कलाम
लरज़ता है मिरा दिल ज़हमत-ए-मेहर-ए-दरख़्शाँ परमैं हूँ वो क़तरा-ए-शबनम कि हो ख़ार-ए-बयाबाँ पर
मिर्ज़ा ग़ालिब
कलाम
अंगड़ाई पर अंगड़ाई लेती है रात जुदाई कीतुम क्या समझो तुम क्या जानो बात मिरी तन्हाई की
क़तील शिफ़ाई
कलाम
ज़रा सी जान है पर दिल जिगर परवाने का देखोकि जलती आग में किस शौक़ से गिर गिर के जलता है
अमीर मीनाई
कलाम
प्रेम प्याला जब से पिया है जी का है ये हालअँगारों पर नींद आ जाए काँटों पर आराम
तुफ़ैल हुश्यारपुरी
कलाम
जो मिला अमन्ना है न मिला अमन्ना हैसर पे देखो 'रिज़वाँ' के ताज-ए-बे-नियाज़ी है
अज़ीज़ुद्दीन रिज़वाँ क़ादरी
कलाम
है दिल-ए-शोरीदा-ए-'ग़ालिब' तिलिस्म-ए-पेच-ओ-ताबरहम कर अपनी तमन्ना पर कि किस मुश्किल में है
मिर्ज़ा ग़ालिब
कलाम
नज़र मिलती है जिस की उस के फ़ौरन होश उड़ते हैंख़ुदा का राज़ है गोया ये मेरे पीर की सूरत
गुलाम रसूल नाइब
कलाम
मुझे सब ख़बर है मिरे सनम कि रह-ए-'फ़ना' में हयात हैउसे मिल गई नई ज़िंदगी तिरे आस्ताँ पे जो मर गया
फ़ना बुलंदशहरी
कलाम
हक़्क़-ए-ता'ला 'अर्श पर है क्या कभी देखा गयाऔर फिर शह-रग से है नज़्दीक क्या कभी समझाया गया
अज़ीज़ुद्दीन रिज़वाँ क़ादरी
कलाम
ये महफ़िल है यहाँ पर कौन रोकेगा ज़बाँ मेरीतुम्हें दिल थाम कर सुनना पड़ेगी दास्ताँ मेरी
अनवर फ़र्रूख़ाबादी
कलाम
ख़ुद अदा मरती है जिस पर वो अदा कुछ और हैहै वफ़ा भी जिस पे सदक़े वो जफ़ा कुछ और है