Font by Mehr Nastaliq Web
Sufinama

ये किस बे-दर्द किस ज़ालिम पर अपना दम निकलता है

अमीर मीनाई

ये किस बे-दर्द किस ज़ालिम पर अपना दम निकलता है

अमीर मीनाई

MORE BYअमीर मीनाई

    ये किस बे-दर्द किस ज़ालिम पर अपना दम निकलता है

    ये रह रह कर कलेजा चुटकियों से कौन मलता है

    तिरे बीमार का काम अब बड़ी मुश्किल से चलता है

    कि दर्द उठ कर बदलवाता है तब करवट बदलता है

    बहार आ-पहुँची है शायद कि दामान-ओ-गरेबाँ में

    ब-हम ये बहस है देखें कि कौन आगे निकलता है

    ज़रूर आफ़त कोई आई है दिल पर वर्ना हमदम

    तड़पता लोटता क्यूँ आँख से आँसू निकलता है

    तिरा बीमार ई'सा-नफ़स बिगड़ा है अब ऐसा

    सँभाला भी सँभाले के तो वो कब सँभलता है

    हमें धड़का है ऐसा उस के उठ जाने का महफ़िल से

    बदल जाता है रँग अपना जो वो ज़ानू बदलता है

    हिना क्यूँ देख कर उस को पिसी जाती है गुलशन में

    लहू उ'श्शाक़ का मलता है मेहंदी कब वो मलता है

    छिड़कते हैं वो अफ़्शाँ गेसूओं पर ख़ैर हो दिल की

    मुसाफ़िर छाओं में तारों के घर से चल निकलता है

    ख़ुदा भी आ'जिज़ों की आ'जिज़ी सुनता है महशर में

    बड़ी सरकार में दरबार में ये उ'ज़्र चलता है

    रुला देती हैं हँसती सूरतें उन ख़ूब-रूयों की

    ये तिफ़्ल-ए-अश्क इन्हीं प्यारे खिलौनों पर मचलता है

    ये किस की गर्मियों से फुंक रही है शम्अ' महफ़िल में

    कि परवाना परों से शब को पंखा रोज़ झलता है

    ज़रा सी जान है पर दिल जिगर परवाने का देखो

    कि जलती आग में किस शौक़ से गिर गिर के जलता है

    जो कहता हूँ कि मेरा दम निकलता है तो कहते हैं

    हमारे वस्ल का अरमान तो यूँही निकलता है

    तुम्हारी गर्मियाँ आफ़त हैं हिज्र-ओ-वस्ल दोनों में

    कोई दोज़ख़ में फुकता है कोई जन्नत में जलता है

    अ'जब तक़दीर पाई है 'अमीर' इस दार-ए-दुनिया ने

    नहीं आता फिर इस घर में जो इस घर से निकलता है

    स्रोत :

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

    Get Tickets
    बोलिए