परिणाम "ravish-e-tiir-e-nazar"
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मिस्ल-ए-तार-ए-नज़र नज़र में नहींइस तरह घर में हूँ कि घर में नहीं
तू ने ऐ हम-सफ़र फेर ली जो नज़र वक़्त से पेशतर हम तो मर जाएँगेज़ुल्म ऐसा न कर कुछ ख़ुदा से तो डर तेरे दीवाने आख़िर कहाँ जाएँगे
है सैद फ़ना जो हदफ़-ए-तीर नज़र हैचीरो मिरे सीने को तो दिल है न जिगर है
क्यूँ मुझ से नज़र फेरी ऐ मुर्शिद-ए-मय-ख़ानादरिया के पास आकर प्यासा रहा मस्ताना
कभी ऐ हक़ीक़त-ए-मुंतज़िर नज़र आ लिबास-ए-मजाज़ मेंकि हज़ारों सज्दे तड़प रहे हैं मिरी जबीन-ए-नियाज़ में
ऐ सोज़ होशियार मिरी आँख तर न होपर्दे की बात है ये किसी को ख़बर न हो
वो उधर से जो रवाँ तीर-ए-नज़र करते हैंहम इधर शौक़ से सीने को सिपर करते हैं
जब तीर-ए-नज़र दिल पे मिरे यार ने मारारग रग से सदा आई मुझे प्यार ने मारा
यह क्या राज़ है साक़ी-ए-मस्त-ओ-बे-ख़ुद यह क्यूँ तू ने नज़र-ए-इनायत हटा लीवही मय-कदा है मगर सूना सूना वही जाम-ओ-मीना मगर ख़ाली ख़ाली
नज़र की मंज़िल-ए-मक़्सूद मेहर-ओ-माह नहींये जल्वा-गाह के पर्दे हैं जल्वा-गाह नहीं
जल्वा ब-क़द्र-ए-ज़र्फ़ नज़र देखते रहेक्या देखते हम उन को मगर देखते रहे
ज़र्रे-ज़र्रे में नज़र आती है रा’नाई मुझेयाद है हाँ याद है वो ’अहद-ए-बरनाई मुझे
जो रुख़्सार-ए-शह पे नज़र जाएगीगुलों से तबी'अत उतर जाएगी
तुझे इक नज़र देखना चाहता हूँमैं इस के सिवा और क्या चाहता हूँ
जिस का हर ज़र्रा नज़र आता है सौदाई मुझेकाश मिल जाए वही महबूब-ए-हरजाई मुझे
ख़िरद ने मुझ को अता की नज़र हकीमानासिखाई इश्क़ ने मुझ को हदीस-ए-रिंदाना
जो नज़र आर-पार हो जाएवही दिल का क़रार हो जाए
ऐसी नज़र-फरोज़ थी बज़्म-गह-ए-निगार-ए-फ़नमेरी नज़र को भा गई अहल-ए-नज़र की अंजुमन
नज़र आते नहीं मुझ को निकलते हौसले दिल केइलाही ख़ैर करना काँपते हैं हाथ क़ातिल के
यार अग़्यार में नज़र आयागुल हमें ख़ार में नज़र आया
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