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Sufinama

यार अग़्यार में नज़र आया

इम्दाद अ'ली उ'ल्वी

यार अग़्यार में नज़र आया

इम्दाद अ'ली उ'ल्वी

MORE BYइम्दाद अ'ली उ'ल्वी

    यार अग़्यार में नज़र आया

    गुल हमें ख़ार में नज़र आया

    जिस को वाइ'ज़ छुपाए फिरते थे

    मुझ को बाज़ार में नज़र आया

    ग़ौर जब मैं ने की तो इक रिश्ता

    सुब्हा-ओ-ज़ुन्नार में नज़र आया

    बे-तकल्लुफ़ जो चढ़ गया मंसूर

    क्या उसे दार में नज़र आया

    जान दी बुलबुलों ने जब गुल पर

    तब वो गुलज़ार में नज़र आया

    पा-बरहना जो हो गए मूसा

    क्या उन्हें नार में नज़र आया

    ढूँढा जिस को जहाँ में वो मिला

    वो दिल-ए-ज़ार में नज़र आया

    उस सफ़ाई पे जान देते हैं

    मुँह जो तलवार में नज़र आया

    जल्वा-ए-हक़ ग़ुलाम को 'उल्वी'

    अपने सरदार में नज़र आया

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    अज्ञात

    अज्ञात

    स्रोत :
    • पुस्तक : सुरूद-ए-रूहानी (पृष्ठ 322)
    • संस्करण : Second

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