परिणाम "sham-e-ziyaa"
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तारीक शाम है चमन-ए-रोज़गार कीला दे कोई गई हुई सुब्हें बहार की
तस्वीर-ए-शम' हूँ मैं सोज़-ए-ग़म-ए-निहाँ सेमेरी ज़बाँ जला दो गर उफ़ करूँ ज़माँ से
हम अपनी शाम को जब नज़्र-ए-जाम करते हैंअदब से हम को सितारे सलाम करते हैं
ऐ दिल सदा उस शम' का परवाना हो परवाना होउस नव बहार-ए-हुस्न का दीवाना हो दीवाना हो
मिरा होश गर्दिश-ए-जाम तक मिरा नश्शा-ए-सुब्ह से शाम तकमिरा कैफ़ तेरे सुकून तक मिरी ज़िंदगी तिरे नाम तक
सुब्ह से शाम के आसार नज़र आने लगेफिर सहारे मुझे बे-कार नज़र आने लगे
दिलबर-ए-जानान-ए-मन कर दे करमजैसे मुम्किन हो तु रख मेरा भरम
रंग बातें करें और बातों से ख़ुश्बू आएदर्द फूलों की तरह महके अगर तू आए
रश्क-ए-बर्क़-ए-तूर शम्-ए’-महफ़िल-ए-जानाना हैमाह-ए-नौ टूटा हुआ इस बज़्म का पैमाना है
शाम-ए-ग़म फ़िराक़ भी कितनी 'अजीब हैमा'लूम हो रहा है क़ियामत क़रीब है
समझा हुआ हूँ शूमी-ए-दस्त-ए-दु’आ को मैंकुछ रोज़ और देख रहा हूँ ख़ुदा को मैं
कभी फ़ैज़-ए-करम इतना तो मेरे यार हो जाएजो घबराए मेरा दिल आप का दीदार होजाए
जला है हाए किस जान-ए-चमन की शम-ए-महफ़िल सेमहक फूलों की आती है शरार-ए-आतिश-ए-दिल से
इस बज़्म में शरीक तो जाया न जाएगामैं जाऊँगा अगर मिरा साया न जाएगा
मोहब्बत नहीं तो जिया जाए नाये दुख ज़िंदगी का उठा जाए ना
नूर हो जा शम-ए'-रू-ए-यार का परवाना बनगर तुझे बनना हो कुछ तो अ'क़्ल खो दीवाना बन
भीक दे जाइए अपने दीदार की मरने वाले का अरमाँ निकल जाएगालोग कहते हैं बीमार-ए-ग़म आप का आप आ जाएँगे तो सँभल जाएगा
मरने की थी सबील जिए जा रहा हूँ मैंसाक़ी पिला रहा है पिए जा रहा हूँ मैं
दुनिया में कुछ नहीं है कहा मान जाइएपर्दे पड़े हुए हैं ख़ुदा तक उठाइए
ऐ फ़ित्ना-ए-हर-महफ़िल ऐ महशर-ए-तन्हाईले फिर तिरा नाम आया ले फिर तिरी याद आई
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