दिलबर-ए-जानान-ए-मन कर दे करम
रोचक तथ्य
تضمین بر کلام مولانا جلال الدین رومی
दिलबर-ए-जानान-ए-मन कर दे करम
जैसे मुम्किन हो तु रख मेरा भरम
बस घड़ी भर के लिए आजा सनम
आरज़ू दारम कि मेहमानत कुनम
जान-ओ-दिल ऐ दोस्त क़ुर्बानत कुनम
दिल पे मेरे चोट कुछ ऐसी लगी
हर नफ़्स बढ़ने लगी दीवानगी
मेरी आँखों ने कहा उन से यही
गर यक़ीं दानम कि बर मन 'आशिक़ी
अज़ जमाल-ए-ख़्वेश हैरानत कुनम
तेरे दर तक आ गया दीवाना-वार
अब फ़िदा हो जाऊँगा परवाना-वार
सर भी हाज़िर कर दिया मस्ताना-वार
गर चे तर्क-ए-सर कुनी मर्दाना-वार
हम चूँ इस्मा'ईल क़ुर्बानत कुनम
उस ज़िया को किस जगह लाया है तू
तू ही आता है नज़र बस चार-सू
मेरी आँखें तुझ पे क़ुर्बां माह-रू
'शम्स'-ए-तबरेज़ी बा-मौलाना ब-गो
दफ़्तर-ए-असरार-ए-दीवाना कुनम
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