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कलाम
दिल जिस से ज़िंदा है वो तमन्ना तुम्हीं तो होहम जिस में बस रहे हैं वो दुनिया तुम्हीं तो हो
ज़फ़र अली ख़ान
कलाम
सब कुछ है दफ़्न मुझ में वो ज़िंदा मज़ार हूँइस वास्ते मैं अपनी ख़ुदी पर निसार हूँ
अज़ीज़ुद्दीन रिज़वाँ क़ादरी
कलाम
जो अहल-ए-दिल हैं वो हर दिल को अपना दिल समझते हैंमक़ाम-ए-'इश्क़ में हर गाम को मंज़िल समझते हैं
अमीर बख़्श साबरी
कलाम
तुरफ़ा क़ुरैशी
कलाम
लरज़ता है मिरा दिल ज़हमत-ए-मेहर-ए-दरख़्शाँ परमैं हूँ वो क़तरा-ए-शबनम कि हो ख़ार-ए-बयाबाँ पर
मिर्ज़ा ग़ालिब
कलाम
वस्ल है पर दिल में अब तक ज़ौक़-ए-ग़म पेचीदा हैबुलबुला है ऐ'न दरिया में मगर नम-दीदा है