।। मारू सोलहे महला 1 ।। - कामु क्रोधु परहरू पर निंदा
कामु क्रोधु परहरू पर निंदा ।। लबु लोभु तजि होहु निचिंदा ।।
भ्रम का संगलु तोड़ि निराला हरि अंतरि हरि रसु पाइआ ।।
निसि दामनि जिउ चमकि चंदाइणु देखै ।। अहिनिसि जोति निरंतरि पेखै ।।
आनंद रूपु अनूपु सरूपा गुरि पूरै देखाइआ ।।
सतिगुर मिलहु आपे प्रभु तारे ।। ससि घरि सुरू दीपकु गैणारे ।।
देखि अदिसटु रहहु लिव लागी सभु त्रिभवणि ब्रहमु सबाइआ ।।
अंम्रित रसु पाए त्रिसना भउ जाए ।। अनभउ पदु पावै आपु गवाए ।।
ऊची पदवी ऊचो ऊचा निरमल सबदु कमाइआ ।।
अद्रिसट अगोचरू नामु अपारा ।। अति रसु मीठा नामु पिआरा ।।
नानक कउ जुगि जुगि हिर जसु दीजै हरि जपीऐ अंतु न पाइआ ।।
अंतरि नामु परापति हीरा ।। हरि जपते मनु मन ते धीरा ।।
दुघट घट भउ भंजनु पाईऐ बाहुड़ि जनमि न जाइआ ।।
भगति हेति गुर सबदि तरंगा ।। हरि जसु नामु पदारथु मंगा ।।
हरि भावै गुर मेलि मिलाए हरि तारे जगतु सबाइआ ।।
जिनि जपु जपिओ सतिगुर मति वा के ।। जमकंकर कालु सेवक पग ता के।।
ऊतम संगति गति मिति ऊतम जगु भउजलु पारि तराइआ ।।
इहु भवजलु जगतु सबदि गुर तरीऐ ।। अंतर की दुबिधा अंतरि जरीऐ ।।
पंच बाण ले जम कउ मारै गगनंतरि धणखु चड़ाइआ ।।
साकत नरि सबद सुरति किउ पाईऐ ।। सबद सुरति बिनु आईऐ जाईऐ ।।
नानक गुरमुखि मुकति पराइणु हरि पूरै भागि मिलाइआ ।।
निरभउ सतिगुरू है रखवाला ।। भगति परापति गुर गोपाला ।।
धुनि अनंद अनाहदु वाजै गुर सबदि निरंजनु पाइआ ।।
निरभउ सो सिरि नाही लेखा ।। आपि अलेखु कुदरति है देखा ।।
आपि अतीतु अजोनी संभउ नानक गुरमति सो पाइआ ।।
अंतरि की गति सतिगुरू जाणै ।। सो निरभउ गुर सबदि पछाणै ।।
अंतरू देखि निरंतरि बूझै अनत न मनु डोलाइआ ।।
निरभउ सो अभ अंतरि वसिआ ।। अहिनिसि नामि निरंजन रसिआ ।।
नानक हरि जसु संगति पाईऐ हरि सहजे सहजि मिलाइआ ।।
अंतरि बाहरि सो प्रभु जाणै ।। रहै अलिपतु चलते घरि आणै ।।
ऊपरि आदि सरब तिहु लोई सचु नानक अंम्रित रसु पाइआ ।।
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