।। मारू सोलहे महला 1 ।। -आपे करता पुरखु बिधाता ।।
आपे करता पुरखु बिधाता ।। जिनि आपे आपि उपाइ पछाता ।।
आपे सतिगुरू आपे सेवकु आपे स्रिसटि उपाई हे ।।
आपे नेड़ै नाही दूरे ।। बूझहि गुरमुखि से जन पूरे ।।
तिन की संगति अहिनिसि लाहा गुर संगति एह वडाई हे ।।
जुगि जुगि संत भले प्रभ तेरे ।। हरि गुण गावहि रसन रसेरे ।।
उसतति करहि परहरि दुखु दालदु जिन नाही चिंत पराई हे ।।
ओइ जागत रहहि न सूते दीसहि ।। संगति कुल तारे साचु परीसहि ।।
कलिमल मैलु नाही ते निरमल ओइ रहहि भगति लिव लाई हे ।।
बूझहु हरि जन सतिगुर बाणी ।। एहु जोबनु सासु है देह पुराणी ।।
आजु कालि मरि जाईऐ प्राणी हरि जपु जपि रिदै धिआई हे ।।
छोडहु प्राणी कूड़ कबाड़ा ।। कूडु मारे कालु उछाहाड़ा ।।
साकत कूड़ि पचहि मनि हउमै दुहु मारगि पचै पचाई हे ।।
छोडिहु निंदा ताति पराई ।। पड़ि पड़ि दझहि साति न आई ।।
मिलि सतसंगति नामु सालहहु आतम रामु सखाई हे ।।
छोडहु काम क्रोध बुरिआई ।। हउमै धंधु छोडहु लंपटाई ।।
सतिगुर सरणि परहु ता उबरहु इउ तरीऐ भवजलु भाई हे ।।
आगै बिमल नदी अगनि बिखु झेला ।। तिथै अवरू न कोई जीउ इकेला ।।
भड़ भड़ अगनि सागरू दे लहरी पड़ि दझहि मनमुख ताई हे ।।
गुर पहि मुकति दानु दे भाणै ।। जिनि पाइआ सोई बिधि जाणै ।।
जिन पाइआ तिन पूछहु भाई सुखु सतिगुर सेव कमाई हे ।।
गुर बिनु उरझि मरहि बेकारा ।। जमु सिरि मारे करे खुआरा ।।
बाधे मुकति नाही नर निंदक डूबहि निंद पराई हे ।।
बोलहु साचु पछाणहु अंदरि ।। दूरि नाही देखहु करि नंदरि ।।
बिघनु नाही गुरमुखि तरू तारी इउ भवजलु पारि लंघाई हे ।।
देही अंदरि नामु निवासी ।। आपे करता है अबिनासी ।।
ना जीउ मरै न मारिआ जाई करि देखै सबदि रजाई हे ।।
ओहु निरमलु है नाही अंधिआरा । ओहु आपे तखति बहै सचिआरा ।।
साकत कूड़े बंधि भवाईअहि मरि जनमहि आई जाई हे ।।
गुर के सेवक सतिगुर पिआरे ।। ओइ बैसहि तखति सु सबदु वीचारे ।।
ततु लहहि अंतरगति जाणहि सतसंगति साचु वडाई हे ।।
आपि तरै जनु पितरा तारे ।। संगति मुकति सु पारि उतारे ।।
नानकु तिस का लाला गोला जिनि गुरमुखि हरि लिव लाई हे ।।
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