।। मारू सोलहे महला -1 ।। -असुर सघारण रामु हमारा ।।
असुर सघारण रामु हमारा ।। घटि घटि रमईआ रामु पिआरा ।।
नाले अलखु न लखीऐ मूले गुरमुखि लिखु वीचारा हे ।।
गुरमुखि साधू सरणि तुमारी ।। करि किरपा प्रभि पारि उतारि ।।
अगनि पाणी सागरू अति गहरा गुरू सतिगुरू पारि उतारा हे ।।
मनमुख अंधुले सोझी नाही ।। आवहि जाहि मरहि मरि जाही ।।
पूरबि लिखिआ लेखु न मिटई जम दरि अंधु खुआरा हे ।।
इकि आवहि जावहि घरि वासु न पावहि ।। किरत के बाधे पाप कमावहि।।
अंधुले सोझी बूझ न काई लोभु बुरा अहंकारा हे ।।
पिर बिनु किआ तिसु धन सीगरा ।। पर पिर राती खसमु विसारा ।।
जिउ बेसुआ पूत बापु को कहीऐ तिउ फोकट कार विकारा हे ।।
प्रेत पिंजर महि दूख घनेरे ।। नरकि पचहि अगिआन अंधेरे ।।
धरम राइ की बाकी लीजै जिनि हरि का नामु विसारा हे ।।
सूरजु तपै अगि बिखु झाला ।। अपतु पसू मनमुखु बेताला ।।
आसा मनसा कूडु कमावहि रोगु बुरा बुरिआरा हे ।।
मसतकि भारू कलर सिरि भारा ।। किउ करि भवजलु लंघसि पारा ।।
सतिगुरू बोहिथु आदि जुगादी राम नामि निसतारा हे ।।
पुत्र कलत्र हेतु पिआरा ।। माइआ मोहु पसरिआ पासारा ।।
जम के फाहे सतिगुरि तोड़े गुरमुखि ततु बीचारा हे ।।
कूड़ि मुठी चालै बहु राही ।। मनमुखु दाझै पड़ि पड़ि भाही ।।
अंम्रित नामु गुरू वड दाणा नामु जपहु सुख सारा हे ।।
सतिगुरू तुठा सचु द्रिड़ाए ।। सभि दुख मेटे मारगि पाए ।।
कंडा पाइ न गडई मूले जिसु सतिगुरू राखणहारा हे ।।
खेहू खेह रलै तनु छीजै ।। मनमुखु पाथरू सैलु न भीजै ।।
करण पलाव करे बहुतेरे नरकि सुरगि अवतारा हे ।।
माइआ बिखु भुइअंगम नाले ।। इनि दुबिधा घर बहुते गाले ।।
सतिगुर बाझहु प्रीति न उपजै भगति रते पतीआरा हे ।।
साकत माइआ कउ बहु धावहि ।। नामु विसारि कहा सुखु पावहि ।।
त्रिहु गुण अंतरि खपहि खपावहि नाही पारि उतारा हे ।।
कूकर सूकर कहीअहि कूड़िआरा ।। भउकि मरहि भउ भउ भउ हारा ।।
मनि तनि झूठे कूडु कमावहि दुरमति दरगह हारा हे ।।
सतिगुरू मिलै त मनूआ टेकै ।। राम नामु दे सरणि परेकै ।।
हरि धनु नामु अमोलकु देवै हरि जसु दरगह पिआरा हे ।।
राम नामु साधू सरणाई ।। सतिगुर बचनी गति मिति पाई ।।
नानक हरि जपि हरि मन मेरे हरि मेले मेलणहारा हे ।।
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