।। भैरउ असटपदीआ महला 1 घरू 2 ।। -आतम महि रामु राम महि आतमु चीनसि गुर बीचारा ।
आतम महि रामु राम महि आतमु चीनसि गुर बीचारा ।
अंम्रित बाणी सबदि पछाणी दुख काटै हउ मारा ।।
नानक हउमै रोग बुरे ।।
जह देखां तह एका बेदन आपे बखसै सबदि धुरे ।।रहाउ।।
आपे परखे परखणहारै बहुरि सूलाकु न होई ।।
जिन कठ नदरि भई गुरि मेले प्रभ भाणा सचु सोई ।।
पउणु पाणी बैसंतरू रोगी रोगी धरति सभोगी ।।
मात पिता माइआ देह सि रोगी रोगी कुटंब संजोगी ।।
रोगी ब्रहमा बिसनु सरूद्रा रोगी सगल संसारा ।।
हरि पदु चीनि भए से मुकते गुर का सबदु वीचारा ।।
रोगी सात समुंद सनदीआ खंड पताल सि रोगि भरे ।।
हरि के लोक सि साचि सुहेले सरबी थाई नदरि करे ।।
रोगी खट दरसन भेखधारी नाना हठी अनेका ।।
बेद कतेब करहि कह बपुरे नह बूझहि इक एका ।।
मिठ रसु खाइ सु रोगि भरीजै कंद मूलि सुखु नाही ।।
नामु विसारि चलहि अन मारगि अंत कालि पछुताही ।।
तीरथि भरमै रोगु न छूटसि पड़िआ बादु बिबादु भइआ ।।
दुबिधा रोगु सु अधिक वडेरा माइआ का मुहताजु भइआ ।।
गुरमुखि साचा सबदि सलाहै मनि साचा तिसु रोगु गइआ ।।
नानक हरि जन अनदिनु निरमल जिन कउ करमि नीसाणु पइआ ।।
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