पैंघ व हिंडोला
इससे रंगा रंगी (विभिन्न रूप) के मुक़ामात (लक्ष्य) तथा श्रेणियों की ओर संकेत होता है। और यह रंगा रंगी (विभिन्न रूपों) का होना ईश्वर की मारेफ़त (ज्ञान) के उतार चढ़ाव मंन से एक मुक़ाम (लक्ष्य) है चाहे यह सैर इलल्लाह (अल्लाह की ओर से भ्रमण) हो और चाहे सैर फ़िल्लाह (अल्लाह में भ्रमण) हो। अल्लाह बदलने वाले हालों का मित्र है।और जैतश्री राग में यह गीत “एक हिंडोला बाप दिया” का अभिप्राय यह है कि मारेफ़त (ज्ञान) को रंगा रंगी का पहला मक़ाम (लक्ष्य) भय तथा आशय का मक़ाम है तथा पिता का दिया हुआ मक़ाम है अर्थात् आदम से उत्तराधिकारी में प्राप्त हुआ है। “दुजा जो पिया दई (दिया)” अर्थात् रंगा रंगी का दूसरा मक़ाम (लक्ष्य) जो अपने ऊपर अधिकार प्राप्त करना तथा पाबन्दी का नाम है, कदाचित् हमें रसूलल्लाह (मुहम्मद साहब) के अनुसरण के आशीर्वाद से प्राप्त हो जाय।“तिसरे हिंडोले न पांव धरौ” अर्थात् रंगा रंगी का तीसरा मकाम (लक्ष्य) भय एवं प्रेम का मक़ाम (लक्ष्य) है और वहीं से मैं मारेफ़त (ज्ञान) में दृढ़ हो जाऊँगा।“जोबन लहरें ले” अर्थात् मेरे हृदय का विस्तार एवं अंतरंग की परिपूर्णता वहदत (एकेश्वरवाद) की नदी में लहरें लेने लगेगी और (मैं) मारेफ़त (ज्ञान) के समुद्र में प्रचंड बन जाऊँगा एवं मानी (वास्तविकता) के समुद्र में वेग में आ जाऊँगा।
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