वज्द
(मस्ती में झूमना) ׃ भावाविष्टावस्था. वज्द हृदय की वह अवस्था है, जो उस समय आती है जब साधक इस बात की चेष्टा करता है कि उसके हृदय से समस्त जागतिक प्रपंचों का अवसान हो जाए, संसार संबंधी कोई भी वासना न रह जाए. साधक बार-बार अपनी समस्त शक्ति का उपयोग परमात्मा का ध्यान करने मे लगाता है. उसके चिंतन और मनन के सिवा और कुछ भी उसके हृदय में नहीं रह जाता. इस प्रकार से वह जब समस्त मन-प्राण से उसकी आकांक्षा करता है, तब उसके हृदय का द्वार खुल जाता है और उस में हर्षातिरेक और आनंद का प्रवेश होता है. यह भावोल्लास की अवस्था बड़ी कठिनता से आती है.
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