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एतिबार पर अशआर

मुझे रास आएं ख़ुदा करे यही इश्तिबाह की साअ’तें

उन्हें ए’तबार-ए-वफ़ा तो है मुझे ए’तबार-ए-सितम नहीं

शकील बदायूँनी

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