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अम्न पर अशआर

जान-ए-मन जानान-ए-मन हम दर्द-ओ-हम दरमान-ए-मन

दीन-ए-मन-ओ-ईमान-ए-मन अम्न-ओ-अमान-ए-उम्मताँ

अहमद रज़ा ख़ान

ज़मीं के सर पे खुला आसमान रहने दे

ख़ुदा के वास्ते अम्न-ओ-अमान रहने दे

डाॅ. मोईद जावेद

जिस जगह अम्न समझ कर मैं ज़रा जा बैठा

मेरी तक़दीर से वो भी दर-ए-क़ातिल निकला

सब्र लखनवी

हमारे शहर से रहते हैं दूर सौदागर

हमारे शहर का अम्न-ओ-अमाँ बोलता है

क़ासिम फख्ररी नियाज़ी

کہاں جائے امن و سکوں کو کوئی

کہاں تم نہیں ہوں کہاں کیا کرے

बह्ज़ाद लखनवी

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