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Sufinama

BHAKTI MOVEMENT

भक्ति आंदोलन हिंदुस्तानी संस्कृति के सामान ही विविधताओं का पिटारा है. हिंदू और मुसलमान भक्त कवियों ने जहाँ जात-पात और मज़हब से परे मानवता और प्रेम को अपनाया वहीं सूफ़ियों से उनका प्रेम-तत्व भी ग्राह्य किया. भक्ति आंदोलन की शुरुआत तो सातवीं शताब्दी में ही हो गई थी, लेकिन कबीर के बाद इसका स्वरूप पूरी तरह से बदल गया. हज़रत अमीर खुसरौ ने जो हिंदू-मुस्लिम एकता का बीज बोया था, वह धीरे-धीरे पनपकर अब अपनी बाँहें पूरे हिंदुस्तान में फैला रहा था. जहाँ हज़रत ग़ौस ग्वालियरी ने योग पर अपनी प्रसिद्ध किताब बहरूल हयात लिखी वहीं मलिक मुहम्मद जायसी ने पद्मावत अखरावट और कन्हावत जैसी कृतियाँ हिंदी साहित्य को दीं. सूफ़ी संतों का भक्ति आंदोलन पर बड़ा प्रभाव था. लंगर जैसी प्रथा सूफ़ी संतों के द्वारा ही सर्वप्रथम शुरू की गई जो बिल्कुल उसी रूप और नाम के साथ सिख गुरुओं द्वारा भी अपनाई गई. सूफ़ियों और संतों का ही असर था कि जब श्री गुरुग्रंथ साहेब जी की रचना हुई तो इसमें बाबा फ़रीद की वाणी और कबीर और रैदास जैसे संत कवियों की वाणी को भी स्थान दिया गया.

Sanjiv Saraf Founder

   

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

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