हज़रत क़ाज़ी शाह मौदूद
रोचक तथ्य
تاریخ صوفیائے گجرات۔ حصہ دوم۔ باب-91
हज़रत क़ाज़ी शाह मौदूद साहिब-ए-विलायत और सुल्तान-ए-तरीक़त हैं।
ख़ानदानी हालात: आपके परदादा अंजुमुद्दीन और दादा ‘ऐनुद्दीन साहिब-ए-कमाल बुज़ुर्ग थे।
वालिद-ए-माजिद: आपके पिदर-ए-बुज़ुर्गवार का नाम-ए-नामी इस्म-ए-गिरामी क़ाज़ी ‘इल्मुद्दीन है।
सज्जादगी: आपने अपने वालिद के सज्जादा पर बैठ कर ख़ानक़ाह-ए-‘आलिया को पहले से ज़ियादा ज़ेब-ओ-ज़ीनत बख़्शी।
विसाल: आप 7 रजब 813 हिज्री मुताबिक़ 1410 ईस्वी, 85 साल की ‘उम्र में वासिल ब-हक़ हुए ।मज़ार-ए-मुबारक पटन में वाक़े’ है।
सीरत-ए-मुबारक: ज़िक्र-ओ-फ़िक्र और अशग़ाल-ओ-औराद-ओ-वज़ाएफ़ में ज़ियादा वक़्त गुज़ारते थे। ‘इल्म-ए-क़िर'अत में दर्जा-ए-कमाल हासिल था। ‘उलूम-ए-ज़ाहिरी–ओ-बातिनी दोनों में ‘आला दर्जा हासिल था। दर्स-ओ-तदरीस, रुश्द-ओ-हिदायत और ख़ानक़ाह की तन्ज़ीम में आप ख़ास दिल-चस्पी लेते थे।
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