Sufinama

हज़रत सय्यद तय्यब

डाॅ. ज़ुहूरुल हसन शारिब

हज़रत सय्यद तय्यब

डाॅ. ज़ुहूरुल हसन शारिब

MORE BYडाॅ. ज़ुहूरुल हसन शारिब

    रोचक तथ्य

    تاریخ صوفیائے گجرات۔ حصہ دوم۔ باب-33

    हज़रत सय्यद तय्यब,इमाम-उल-तरीक़त और काशिफ़-उल-हक़ीक़त थे।

    बै'अत-ओ-ख़िलाफ़त: आप हज़रत जलालुद्दीन हुसैन शाह जियो के मुरीद और ख़लीफ़ा थे।

    हज को रवानगी: आप सूरत से हज का फ़रीज़ा अदा करने की गर्ज़ से रवाना हुए ।अंग्रेज़ों ने आपका जहाज़ घेर लिया। मुक़ाबला हुआ। आपके साथी मुसाफ़िरों ने आपसे दु‘आ करने और अपने पीर-ओ-मुर्शिद से इमदाद तलब करने को कहा। आपने मुराक़बा किया। कुछ ही वक़्त गुज़रा था कि आपके पीर-ओ-मुर्शिद हज़रत शाह जियो यकायक देखने में आये। उनके हाथ में पैराहन का पल्लू था। आपके पीर-ओ-मुर्शिद ने आपको सूरा-ए-फ़ातिहा पढ़ने की हिदायत फ़रमाई। आपने सूरा-ए-फ़ातिहा पढ़ना शुरू’ किया। सूरा-ए-फ़ातिहा का पढ़ना था कि दुश्मन के जहाज़ में आग लग गई। तीन अँगरेज़ बचे बाक़ी सब जल गए।उन तीनो अंग्रेज़ों ने आपके दस्त-ए-हक़ पर इस्लाम क़ुबूल किया और आपके मुरीद हुए।

    वापसी: हज कर के आप वापस तशरीफ़ ले आये और रुश्द-ओ-हिदायत में वक़्त गुज़ारने लगे।

    मुलाक़ात: हाजी ‘अब्दुल वहाब कलाँ बुख़ारी जो अपने ज़माने के मशहूर बुज़ूर्ग थे, देहली से हज के लिए रवाना हुए। गुजरात आये तो आपसे मिले। मुलाक़ात के बा’द लोगों से कहने लगे कि मैं एहराम बाँध कर हज के इरादा से निकला हूँ इसलिए मजबूर हूँ वरना इनकी ख़िदमत में रहता। बड़े पाया के बुज़ुर्ग हैं।

    सीरत: आप ज़ुहद-ओ-तक़वा में अपनी मिसाल आप थे। 'इबादत, रियाज़त, मुराक़बा और मुजाहदात में बे-नज़ीर थे। रुश्द-ओ-हिदायत और ता'लीम-ओ-तलक़ीन में ज़ियादा वक़्त गुज़ारते थे। अपने पीर-ओ-मुर्शीद के 'आशिक़ और परस्तार थे कहा करते थे कि पीर-ओ-मुर्शिद की ख़िदमत से सब कुछ मिला।

    मज़ार-ए-मुबारक: आपका मज़ार-ए पुर-अनवार रईसपुर में जो रसूल आबाद और बटवा के दरमियान है, वाक़े’ है।

    दुरूद-ओ-वज़ीफ़ा: मुसीबत के वक़्त अल्हम्द शरीफ़ पढ़ने से मुसीबत दूर हो जाती है।

    स्रोत :

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

    GET YOUR PASS
    बोलिए