हज़रत शैख़ बाबू जियु
रोचक तथ्य
تاریخ صوفیائے گجرات۔ حصہ دوم۔ باب-63
हज़रत शैख़ बाबू जियो साहिब-ए-दिल और साहिब-ए-निस्बत बुज़ुर्ग थे।
ख़ानदानी हालात-ओ-विलादत: आप हज़रत मख़दूम जहाँनियान-ए-जहाँ गश्त की औलाद से थे।पटन में पैदा हुए।
बै'अत-ओ-ख़िलाफ़त: आपने हज़रत शैख़ बुर्हानुद्दीन ग़रीब के दस्त-ए-हक़-परस्त पर बै'अत की। पीर-ओ-मुर्शिद की ख़िदमत-ए-अक़दस में रह कर फुयूज़-ओ-बरकात से माला-माल हुए। आपके पीर-ओ-मुर्शिद ने आपको खिर्क़ा-ए-ख़िलाफ़त से सरफ़राज़ फ़रमाया। शैख़ बुर्हानुद्दीन ग़रीब मुरीद-ओ-ख़लीफ़ा सुल्तान-उल-मशाइख़ ख़्वाजा निज़ामुद्दीन औलिया के थे और वो बाबा फ़रीदुद्दीन गंज-ए-शकर के और वो क़ुतुब-उल-अक़ताब ख़्वाजा क़ुतुबुद्दीन बख़्तियार-ए-काकी के और वो सुल्तान-उल-हिन्द ख़्वाजा मु’ईनुद्दीन हसन चिश्ती के।
पटन में क़ियाम: पटन में आप पैदा हुए और पटन में ही आपकी इब्तिदाई ता'लीम-ओ-तर्बियत हुई। जमी'अ-ए-‘उलूम-ए-ज़ाहिरी से फ़राग़त पाकर आप ‘उलूम-ए-बातिनी की तरफ़ मुतवज्जिह हुए। आपके हल्क़ा-ए-दर्स में बहुत से तलबा शरीक होते और फ़ैज़ पाते थे।एक मुद्दत तक आप हज़रत मौलाना ताजुद्दीन या’क़ूब जो मौलाना महबूब के लक़ब से मशहूर हैं, के रौज़ा-ए-मुबारक के मुतवल्ली की हैसियत से फ़राएज़ अंजाम देते रहे। बाद अज़ाँ तवल्लियत से दस्त-बरदार हुए और ‘इबादत, रियाज़त और ज़िक्र-ओ-फ़िक्र में हमा-तन मशग़ूल हुए।
वफ़ात शरीफ़: आपका 1006 हिज़्री मुताबिक़ 1597 ‘ईस्वी में विसाल हुआ। मज़ार पटन में है।
सीरत: तवक्कुल और क़ना'अत के लिए मशहूर थे। फ़ुतूहात फ़ुक़रा, ग़ुरबा और मसाकीन में तक़सीम कर देते थे।
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