हज़रत शैख़ सद्रुद्दीन मुल्तानी
रोचक तथ्य
تاریخ صوفیائے گجرات۔ حصہ دوم۔ باب-76
हज़रत शैख़ सद्रुद्दीन मुल्तानी वली-ए-ख़ुदा और साहिब-ए-जूद-ओ-सख़ा हैं।
ख़ानदानी हालात: आप हज़रत मख़्दूम हुसामुद्दीन मुल्तानी के भाँजे हैं।
वालिद: आपके वालिद अपने वक़्त के जलील-उल-क़द्र बुज़ुर्ग थे।
वालिदा: आपकी वालिदा बीबी आमिना ‘इबादत, सख़ावत और रास्त-गोई के लिए मशहूर थीं। वो हज़रत हुसामुद्दीन मुल्तानी की हमशीरा थीं।
नागौर में आमद: अपनी वालिदा के हमराह मुल्तान से तर्क-ए-सुकूनत कर के नागौर में तशरीफ़ लाए , वालिद और अहल-ओ-‘अयाल साथ थे। नागौर में एक ‘अर्से तक रह कर रुश्द-ओ-हिदायत और ता’लीम-ओ-तलक़ीन करते रहे।
शादी: आपने नागौर में वहाँ के राजा की लड़की से शादी की।
पटन में क़ियाम: हज़रत मख़्दूम हुसामुद्दीन मुल्तानी ने आप की वालिदा माजिदा को पटन बुलवाया। बीबी आमिना अपने ख़ानदान के अफ़राद के साथ पटन आईं और रहने लगीं।पटन में आपने काफ़ी तबलीग़ की। यहाँ आपका ख़ानदान ख़ूब फला-फूला। हज़रत क़ुतुब-ए-‘आलम के ख़लीफ़ा हज़रत शाह ‘अब्दुल लतीफ़ जमालुल्लाह आपके पड़पोते हैं।
वफ़ात: पटन में आपका विसाल हुआ और पटन में ही आपका मज़ार-ए-मुबारक है।
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